पत्थर, पेड़ , ब्रम्ह,अंगूठी
सबका लिया सहारा
पर मूर्ति को पूजत जन
कहा कहा न हारा
भाग्य कुंडली ज्योतिष ने भी
उसको हर दम धिक्कारा
सक्षम होकर भी वो
हर रोज किसी से क्यूँ हारा
बैठ, सोच कर जग में किसको
मिलता महल वृहद् हैं
उद्दयम कर धन जिसने पनपाया
उसकी ही चहु-ओर विजय हैं
भगत , आज़ाद सुभाष ने भी
कर्म कर लोहा अपना मनवाया
फिर क्यों हे मानस के राज हंस
तुमने ही कर्म को ऐसे ठुकराया
रावण, कंस को भी उसने
कर्म -युद्ध कर संहारा
बैठ बैकुंठ में जो हो सकता था
फिर क्यूँ नर -कर्म का लिया सहारा
रामायण , वेद शाश्त्र तुमने पढ़
गंगा से पापा भी धुलवाए
पर हुआ आश्चर्य जगत को तुम पर
गीता ही तूम शायद ना पद पाए
अंग्रेजो को ही तुम देखो
घर में ही तुमको जम कर लूटा
पर कर्म-हीन मनु-जन तुम तो
राम कृष्ण से भी कुछ ना सीखा
राम कृष्ण को जग पूजता
तुमने भी मूर्ती तो बनवाई
पर हे इश्वर के बालक तुमको
कर्म की सुध कभी ना क्यूँ आई
जीवन विष पी सकता वो हैं
जिसका कंठ रूद्र सरस हो
उसका क्या जो कंठ-हीन
कर्म हीन गरीब सकल हो
रचा इतिहास उसी मानव ने
जिसने तट को दुत्कारा
तट की माया में फंस कर ही
कर्महीन लूट ता हरदम आया
सच पूछो तो कर्म से ही
मिलता सुख -ऐश्वर्य सभी को
धन-धान्य भाग्य उसी का होता
जिसमे शक्ति-कर्म-विजय हो
'अभिषेक'
सबका लिया सहारा
पर मूर्ति को पूजत जन
कहा कहा न हारा
भाग्य कुंडली ज्योतिष ने भी
उसको हर दम धिक्कारा
सक्षम होकर भी वो
हर रोज किसी से क्यूँ हारा
बैठ, सोच कर जग में किसको
मिलता महल वृहद् हैं
उद्दयम कर धन जिसने पनपाया
उसकी ही चहु-ओर विजय हैं
भगत , आज़ाद सुभाष ने भी
कर्म कर लोहा अपना मनवाया
फिर क्यों हे मानस के राज हंस
तुमने ही कर्म को ऐसे ठुकराया
रावण, कंस को भी उसने
कर्म -युद्ध कर संहारा
बैठ बैकुंठ में जो हो सकता था
फिर क्यूँ नर -कर्म का लिया सहारा
रामायण , वेद शाश्त्र तुमने पढ़
गंगा से पापा भी धुलवाए
पर हुआ आश्चर्य जगत को तुम पर
गीता ही तूम शायद ना पद पाए
अंग्रेजो को ही तुम देखो
घर में ही तुमको जम कर लूटा
पर कर्म-हीन मनु-जन तुम तो
राम कृष्ण से भी कुछ ना सीखा
राम कृष्ण को जग पूजता
तुमने भी मूर्ती तो बनवाई
पर हे इश्वर के बालक तुमको
कर्म की सुध कभी ना क्यूँ आई
जीवन विष पी सकता वो हैं
जिसका कंठ रूद्र सरस हो
उसका क्या जो कंठ-हीन
कर्म हीन गरीब सकल हो
रचा इतिहास उसी मानव ने
जिसने तट को दुत्कारा
तट की माया में फंस कर ही
कर्महीन लूट ता हरदम आया
सच पूछो तो कर्म से ही
मिलता सुख -ऐश्वर्य सभी को
धन-धान्य भाग्य उसी का होता
जिसमे शक्ति-कर्म-विजय हो
'अभिषेक'