Monday, January 2, 2023

सिर्फ तुम

तेरे जाने के बाद इस मकान के  

कमरों के हर कोने-कोने  मे

तेरी उन यादों को ऐसे ढूँढता हूँ

की कही तो तुमने मेरे लिए

कुछ जतन से छोड़ा होगा  

जिसे उठा कर मैं हाथों से

सीने पे लगा कर

तेरे आने का इंतज़ार कर सकु

 

पर ये खामोश कमरे और लापरवाह दीवारे  

तुम्हारी यादों के साये से बेखबर क्यू हैं

क्यू ऐसा हैं की तुमने

इस बार मेरे लिए कुछ भी नहीं छोड़ा हैं  

या ऐसा तो नहीं किया तुमने

कि हमे ही छोड़ कर चली गई

 

बिस्तर के पीछे गिरे हुए तुम्हारे उस बाल को

अभी भी मैंने झाड कर बाहर फेका नहीं हैं

की कही तुम कभी लौट कर यहा आई

तो अमानत मे तुम्हें कुछ तो दिखा सकु

 

वो मेरी पॉकेट मे तुम्हारा दिया हुआ

एक रुमाल अभी भी पड़ा हैं

जिसे मैंने अभी तक साफ नहीं किया हैं

की अगर कही से तुम आई

तो रुकने का कुछ बहाना तो रहे

 

मेरी एक चाहत तुम भी ले गई हो

बहुत जतन से रखना उसे तुम  

की कभी हम फिर कही मिले

तो गुजारे लम्हों की कोई तो निशानी रहे   

 

तुम्हारे लगाए हुए पौधे

अभी भी खड़े हैं तुम्हारे इंतज़ार मे

मैं भी रोज उन्हे पानी दे देता हूँ

की कभी तुम अगर आओ तो

कोई मेरे मेहनत की तारीफ तो तुमसे करे

 

मौसम बदल रहा हैं

अब उन पौधों मे

फूल आने लगे हैं

उन फूलों की खुशबू  

को इत्र बना के साथ रखता हूँ

की कही तुम पास से गूजरों

तो उनकी खुशबू से ही सही

हमे पहचान तो सकोगी  

 

अब तो लौट आओ की

वो पौधे और वो तुम्हारा रुमाल

वो फूलों का हार और तुम्हारे बाल

तुम्हारे इंतज़ार मे

अपनी साँसों के साथ

संभाल के रखा हैं

इन सासों के रुकने से पहले

एक दफा ही सही आ जाना

और कम से कम ये देख जाना

की मैंने अपनी इस जिंदगी

को तुम्हारे काबिल बना कर

जीना सीख लिया हैं की नहीं 

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