मैंने टूटे हुए ख्वांबो के
उजड़ते हुए आशियानों से
उठ रही चंगारियो को
करीब से देखा हैं
कांपती हुई उम्मीदों पे
जलती हुई त्रिष्णगी से
बुझ रहे अरमानो को
खुद में ही मरते देखा हैं
हाँ मैंने देखा हैं
सपनो को रेत की तरह
पानी की ज़िन्दगी में
बहते, घुलते और मिटते भी
आंसुओं को खून की तरह
बहते,रुकते और थमते भी
हाँ मैंने देखा हैं
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