Saturday, November 5, 2022

परम-सत्य

तू कृष्ण का हैं चक्र सुदर्शन

तू ही रुद्र का अवतारी  हैं

शत्रु को जो भय-कंपित कर दे

तू ही वो भीषण प्रलयंकारी हैं

 

वीरों की तलवार अमर

तू ही आदित्य का शौर्य प्रखर

और प्रलय से जो आखेट करे

तू ही वो नर-रणसंहारी हैं   

 

राम की हैं मर्यादा तू

तू ही लक्ष्मण सा परछाई हैं

काल-जगत के पार रहे तू

तू ही अविरल अविनाशी हैं

 

बुद्ध का तू ज्ञान निखर

तू ही महावीर सा त्यागी हैं

सब मे व्याप्त रहे तू

तू ही वो अपरम-पारी  हैं


 

तू रणचंडी का काल-शिखर

तू ही पार्वती सा अनुरागी हैं

हार-जीत के पार रहे तू

तू ही वो योगी निष्कामी हैं

 

तू जीवन की अंतिम अभिलाषा

तू ही वो पहली ख्वाहिश हैं

जल-नभ-थल के पार रहे तू

तू ही आनंद की वो तरुणाई हैं

 

तू पिता का प्रेम अमर

तू ही ममता की गहराई हैं

परम ब्रम्ह की मूर्ति तू

तू ही ईश्वर की सच्चाई हैं

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