तू मेरी कविता मैं तेरा कवि बन जाऊ
तू फूल बने तो मैं तेरी महक बन जाऊ
तू गर जिंदगी और इबादत बने
तो बन के दुआ मैं सितारों तक मिल आऊ
तू सुबह बने तो मैं ओंस की बूंद बन जाऊ
तू शाम बने तो लौटते परिंदों का घर बन जाऊ
तू अगर साथ चलने का वादा करे
तो तेरे साथ चाँद पर एक सपना बनाऊ
तू बूँद बने तो मैं धार बन जाऊ
तू सच बने तो मैं तेरा सब झूठ सह जाऊ
गर तू झील बने सपनों की
तो किनारों की हवा बन मैं इठलाऊ
तू वक्त बने तो मैं तेरा पल बन जाऊ
तू विनय करे तो मैं याचक बन मर जाऊ
नदी की गर अविरल धार बने तू
बन के सागर तुझमे ही फिर मिल जाऊ
तू प्रेम करे तो मैं प्रणय बन जाऊ
तू राह तके तो मैं मंजिल बन जाऊ
तुझ को गर ख्वाहिश भर हो
तो भागीरथ बन गंगा को पृथ्वी पर ले आऊ
'अभिषेक'