Wednesday, November 16, 2022

तू ना मिला

तुझे पढ़ने की चाह मे नया एक एहसास मिला

तुझे पाने की आस मे शब्दों को नया साज मिला

कुछ बात थी तेरी उस मुस्कुराहट मे

नशा क्या खूब हुआ पैमाना क्या खूब मिला   

 

उस गली के मोड़ पे एक लम्हा तुझ सा मिला

तू राह तो कभी तू ही मंजिल पे खड़ा मिला

एक उम्र बिताई हैं तेरे उस शहर मे

हासिल सब किया, हमसफ़र कोई न मिला

 

वो चाँद की रात मे बेतकल्लुफ़ सा इंतज़ार मिला    

तेरी बातों के सियाही मे मेरा पन्ना गुमनाम मिला

जिंदगी गुजर गई तेरे इजहार मे

न तो तेरी हाँ मिली ना ही तेरा संसार मिला  

 

तू ना मिला तो ये तेरा ग़म मिला

बेअसर दुआवो मे सिर्फ तेरा अक्स मिला

उस पुरानी किताब सा है ये इश्क तेरा

याद तो सब किया, साथ कुछ ना मिला      

 

“अभिषेक”

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