जो कभी आम थे वो दिल के खास हो गए
जो हासिल ना हो सके वो एहसास हो गए
कभी जो जुड़ गए तो फ़साना बना दिया
और चल दिए तो वो शायरी हो गए
वो हर एक शायरी एक मोहब्बत की निशानी हैं
दिल टूँटते रहे और हम शायर मशहूर हो गए
मेरे मशहूर होने मे तेरा कुछ तो हाथ होगा
गमों के इस सफर मे कुछ तो याद होगा
या हमसे दिल्लगी के सफर
मे मगरूर हो गए
शायरी का हमारा यूं तो
कोई इरादा नहीं था
लेकिन हम पिघलते रहे आप पत्थर हो गए
वो पहली शायरी एक खास मोहब्बत की निशानी हैं
फिर दिल टूँटते रहे और शायर हम मसरूफ़ हो गए
तेरे जाने के बाद जो आए वो तुझ जैसे ही थे
मुझे मशहूर करने की जिद्द ले ही बैठे थे
फिर वो सारे कभी फ़साना तो कभी शायरी हुए
लबजो की इन्ही कारीगरी से हम शायर हो गए
वो हर एक शायरी एक मोहब्बत की निशानी हैं
दिल टूँटते रहे और देखो हम शायर हम मशहूर हो गए
‘अभिषेक’
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